स्काउटिंग में भ्रमण
स्काउटिंग में भ्रमण: अपनी टोली या दल के साथ बाहरी वातावरण का आनन्द लेने के लिये कम से कम एक बार प्रवेश स्काउट/गाइड को जाना होगा और उसका भ्रमण यात्रा-वृत्तान्त नीचे दिये गये उदाहरण अनुसार लिख सकते हैं।
- उद्देश्यपूर्ण भ्रमण यात्रा-वृत्तान्त (उदाहरण)
- झोली (Sling) का प्रयोग
- बाजू की झोली (Arm Sling) –
- कॉलर और कफ स्लिंग (Collar&cuff Sling) –
- तिकोनी झोली Triangular or St. John’s Sling) –
- वन विद्या (खोज के चिह्न)
- हाथ के संकेत व सीटी के संकेत
- एक दिन की हाइक में प्रतिभागिता
- उद्देश्यपूर्ण भ्रमण यात्रा-वृत्तान्त (उदाहरण)
उद्देश्यपूर्ण भ्रमण यात्रा-वृत्तान्त (उदाहरण)
यात्रा वृत्तान्त दिनांक 17 अक्टूबर रविवार को लॉयन टोली की सभा में प्रस्ताव पारित हुआ कि अगले दिन रविवार 18 अक्टूबर को बताये गये खोज के चिह्नों का अवलोकन करते हुए एक पैदल यात्रा की जायगी। यह भी निर्णय लिया गया कि टोली के सभी सदस्य प्रातः काल ठीक आठ बजे विद्यालय प्रांगण में एकत्रित होंगे।
यह भी स्पष्ट किया गया कि प्रत्येक स्काउट गाइड अपने साथ नोटबुक, पैन, पानी की बोतल, 3 मीटर की रस्सी लेकर स्काउट गाइड यूनिफार्म में आयेंगे। टोली नायक द्वारा पहले से ही गन्तव्य स्थल की रैकी की जा चुकी थी।
स्थान घनघोर जंगल के मध्य स्थित कालीचौड़ मन्दिर परिसर चुना गया था। खोज के संकेतों के लिए दो घंटे पूर्व सहायक टोली नायक और एक स्काउटर आवश्यक सामग्री लेकर 8.30 बजे भेज दिये गये 9.00 बजे शेष टोली निर्देशों का अनुशरण करते हुए अनजान रास्तों से आगे बढ़े। मार्ग में विश्राम का भी समय दिया गया। जहाँ पर टोली नायक द्वारा देश भक्ति गीत व सिंहनाद लगाने का आदेश था।
प्रत्येक स्काउट/गाइड अपनी नोट बुक में सभी संकेतों को नोट करता गया। लगभग सभी संकेतों का प्रयोग किया गया। विद्यालय से गन्तव्य स्थल 1 किलोमीटर दूर था। अतः 10 बजे सभी स्काउट/गाइड वहां पहुंच गये। इस स्थान पर सहायक टोली नायक छिपा हुआ था। उसे ढूंढना था जिसे 15-20 मिनट बाद ढूंढ़ लिया गया। वह एक पेड़ की शाखा में छुपा बैठा था।
टोली के सभी सदस्यों ने संकेतों की चर्चा की। मंदिर के पास एक स्थल की सफाई कर वहां अपना सामान रख दिया। मंदिर में माता के दर्शन और पूजा अर्चना की, लगभग 1 घंटे का कार्यक्रम (मनोरंजन) करने के बाद वापसी हुई। इस छोटी-सी यात्रा को खूब पसन्द किया गया।
झोली (Sling) का प्रयोग
हाथ, हथेली या भुजा को सहारा देने, उसे हिलने-डुलने से रोकने के लिये झोली का प्रयोग किया जाता है। झोली का प्रयोग निम्नलिखित तीन प्रकार से होता है –
बाजू की झोली (Arm Sling) –
बाजू के अग्रभाग और हाथ को सहारा देने के लिए इस झोली का प्रयोग किया जाता है।
बाजू- झोली लगाने हेतु रोगी के सामने खड़े हो जाइये, कन्धे के ठीक बाले हिस्से के ऊपर फैली हुई तिकोनी पट्टी का एक सिरा रखिये तथा पट्टी के शीर्ष (Point) वाले सिरे को चोट वाले हिस्से की ओर रखिये, अब आहत भुजा को पट्टी के ऊपर समकोण में मोड़ कर आहत कन्धे पर दोनों सिरे लेकर डॉक्टरी गाँठ लगा दें; शीर्ष को मोड़ कर सेफ्टी पिन लगा दें।
कॉलर और कफ स्लिंग (Collar&cuff Sling) –
कलाई को सहारा देने के लिये इस झोली का प्रयोग होता है। इसे लगाने के लिये रोगी की कुहनी को मोड़कर स्वस्थ कन्धे के पास अंगुलियाँ रखें। कलाई पर संकरी पट्टी से बूंटा फॉस लगायें तथा आहत भुजा की ओर के कन्धे पर हंसली की हड्डी के निकट के गड्ढे में डॉक्टरी गाँठ लगा दें।
तिकोनी झोली Triangular or St. John’s Sling) –
इस झोली का प्रयोग हाथ को ऊपर उठाये रखने तथा हंसली (Collar bone) की हड्डी के टूटने पर किया जाता है। रोगी की बाजू के अग्रभाग को उसकी छाती पर इस तरह रखें कि उसकी अंगुली की नोक कन्धे की तरफ रहे तथा हथेली का मध्यभाग उरोस्थि पर रहे। काँख (बगल) पर एक गद्दी (Pad) रखकर बाजू के अग्रभाग पर खुली पट्टी रखिये, जिसका एक सिरा हाथ पर और नोक, कुहनी से कुछ दूर रहे। दूसरे सिरे को कुहनी नीचे से धुमाकर पीछे की ओर कन्धे पर लाकर हंसली के ऊपर गड्ढे में दूसरे कन्धे पर डॉक्टरी गाँठ लगा दें। एक सकरी पट्टी आहत भुजा के कुछ ऊपर रखकर कमर पर विपरीत दिशा में बांध दें। जिससे टूटी हंसली की हड्डी सही स्थिति में रहें।
वन विद्या (खोज के चिह्न)
वनविद्या ( खोज के चिह्न ) इन खोज के चिह्नों का उपयोग स्काउट – गाइड द्वारा हाइक के समय किया जाता है । एडवांस पार्टी द्वारा सड़क के दायीं ओर 50-50 कदम की दूरी पर ये चिह्न लगाये जाते हैं । सभी स्काउट – गाइड इनके द्वारा मार्ग खोजते हुए आगे बढ़ते हैं । कुछ मुख्य चिह्न –
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1. यह मार्ग है , रास्ता साफ है , तीर की दिशा में जाइए ।
2. रास्ता बन्द है , इधर से मत जाइए ।
3. तीर के निशान की ओर चार कदम पर पत्र छिपा है ( यदि दूरी तीन कदम से अधिक हो तो वह लिख देनी चाहिए ) ।
4 .यहां ठहरो ।
5 . मैं घर चला गया हूं ( अपने पेट्रोल का नाम और अपने नाम के हस्ताक्षर कर देने चाहिए और पेट्रोल का चिह्न बना देना चाहिए ) ।
6 . नदी को यहां से पार कीजिए ।
7 . इधर तीर की ओर कैम्प है ।
8 . पीने का साफ पानी है ।
9 . पानी गंदा है , पीने योग्य नहीं ।
10. कुशल मंगल है ।
11. अकुशल है ।
12. आगे पुल है ।
13. दाहिनी ओर मुड़ जाओ ।
14. शान्ति है ।
15. अशान्ति है ।
पत्थरों से बनाये जाने वाले चिह्न
1 . इधर से जाइए , रास्ता साफ है ( एक बड़े पत्थर के ऊपर छोटा पत्थर रखा हुआ ) ।
2. दाहिनी ओर मुड़ जाइए । ( छोटे पत्थर की ओर रास्ता साफ है )
3. इधर न जाइए , रास्ता बन्द है ।
घास से बनाये जाने वाले चिह्न
1. इधर से जाइए , रास्ता साफ है ।
2.जिधर घास मुड़ी है , उस ओर मुड़ जाइए ।
3. इधर से न जाइए , रास्ता बंद है ।
पेड़ पर बनाये जाने वाले चिह्न
ये चिह्न जंगल में पेड़ों पर बनाये जाते हैं क्योंकि जमीन पर अथवा घास या पत्थर से बनाये हुए चिह्नों को जंगलों में देखना कठिन होता है ।
1. रास्ता साफ है ।
2. छोटे चिह्न की ओर मुड़ जाओ ।
3. रास्ता बन्द है , इधर से न जाइए ।
हाथ के संकेत व सीटी के संकेत
हाथ के संकेत
क्र. | संकेत | अभिप्राय |
1. | हाथ को मुंह के आगे इधर से उधर हिलाना- | नहीं, जैसे थे |
2. | हाथ ऊंचा उठाकर इधर से उधर धीरे-धीरे हिलाना- | फैल जाओ, बिखर जाओ |
3. | उपरोक्त में ही हाथ तेजी से हिलाना | समीप आओ, एकत्रित हो जाओ। |
4. | हाथ से किसी एक दिशा में अंगुली से इशारा करना- | उस दिशा में जाओ, |
5. | मुट्ठी बंद करके हाथ को तेजी से कई बार ऊपर-नीचे करना- | भागो, दौड़ कर आओ। |
6. | हाथ सिर से ऊपर सीधा उठाना | ठहरो, रूको। |
7. | दोनों हाथ कंधे की सीध में दोनों तरफ फैलाना- | लीडर के सामने टोली वार एकदूसरे के बराबर कतार में खड़े होना |
8. | उपरोक्त स्थिति में ही एक हाथ ऊपर दूसरा नीचे हो- | कदवार, ऊंचे हाथ की तरफ बड़े व नीचे हाथ की तरफ छोटे खड़े हों |
9. | दाहिने हाथ को सिर की सीध में ऊपर की ओर खड़ा करना- | सब ठीक है। सुनाई दे रहा है। |
10. | दाहिने हाथ को मोड़कर सिर के उपर बार-बार उपर-नीचे करना | लीडर के चारों ओर गोल आकार में खड़े हों। |
11. | हाथ को मोड़कर सीने के सामनेलाना | विसर्जन। |
12. | हाथ को मोड़कर कंधे पर रखना | टोलीवार पंक्ति में खड़े हों। |
हाथ के संकेत, सीटी के संकेत

सीटी के संकेत
कार्य के सुगमतापूर्वक संचालन तथा अनुशासन हेतु स्काउटिंग में सीटी द्वारा निम्नलिखित संकेतों का प्रयोग किया जाता है।
क्र. | ध्वनि | संकेत | अभिप्राय |
1. | एक लम्बी सीटी | – | सावधान (शांत), आदेश की प्रतीक्षा करें। |
2. | लगातार छोटी- छोटी सीटियां | ००००००० | दौड़कर आओ। |
3. | लगातार लम्बी-लम्बी सीटियां | – – – – – – | विसर्जन, तितर-बितर होजाओ, बिखर जाओ। |
4. | तीन छोटी एक लम्बी सीटी | ००० – | टोली नायक आओ। |
5. | तीन छोटी दो लम्बी सीटी | ०००- – | स्काउटर/गाइडर आओ। |
6. | लगातार एक छोटी एक लम्बी सीटी | ०-०-०- | खतरा है, दौड़कर पहुंचो। |
नोट:-
(1) लम्बी सीटी को डैश(-) व छोटी सीटी को डॉट (0) से प्रदर्शित करते हैं।
(2) प्रत्येक सीटी के संकेत से पहले सावधान की एक लम्बी सीटी बजानी चाहिए।
(3) आवश्यकता पड़ने पर ही सीटी का प्रयोग करना चाहिए।
एक दिन की हाइक में प्रतिभागिता
प्रकृति का आनन्द लेने या किसी स्थान का अध्ययन करने के लिये हाइक की जाती है। हाइक से अपनी शक्ति तथा कौशल को परखने का सुअवसर प्राप्त होता है। किसी निश्चित उद्देश्य की पूर्ति हेतु हाइक की जानी चाहिए। हाइकर को भोजन पकाना, तम्बू तानना, मानचित्र व कम्पास का ज्ञान होना चाहिए। पीठ पर आवश्यक सामग्री से भरा रकसैक साथ में स्काउट कुल्हाड़ी, चाकू, कम्पास,मानचित्र, लाठी आदि अवश्य हों। हाइक में एक महत्वपूर्ण विषय है, जूता नया न हो तथा फीतेदार हो । हन्टर शू अधिक सुविधाजनक रहता है।
हाइक का सबसे अच्छा समय है-प्रातःकाल या अपराहन 2-3 बजे प्रातःकाल नाश्ता कर हाइक पर जाया जा सकता है, प्रतिदिन 8 से 10 किलोमीटर चलना आनन्ददायक रहता है।
सफल हाइकर को मानचित्र पढ़ना, बनाना तथा रेखाचित्र बनाना (Sketches) आना चाहिए। प्रत्येक हाइकर को हाइक का विवरण अपनी डायरी में अवश्य लिखना चाहिए।
हाइक में जाने के लिये अभिभावकों की लिखित स्वीकृति ले लेनी चाहिए। समय पर उपस्थिति तथा गन्तव्य स्थल पर जाना चाहिए तथा समय पर घर लौटना भी आवश्यक है अन्यथा अभिभावक चिन्तित रहेंगे। हाइक में जाने से पूर्व सामग्री का निरीक्षण तथा उपस्थिति अनिवार्य है। हाइक में प्रोजेक्ट निर्धारित हो तथा मनोरंजन व विविधता का ध्यान रखा जाये ताकि थकावट न हो। प्रत्येक स्काउट गाइड को हाइक का एक काल्पनिक मानचित्र तथा उसकी रिपोर्ट लिखनी चाहिए।
अपनी टोली या दल के साथ बाहरी वातावरण का आनन्द लेने के लिये कम से कम एक बार प्रवेश स्काउट/गाइड को जाना होगा और उसका भ्रमण यात्रा-वृत्तान्त नीचे दिये गये उदाहरण अनुसार लिख सकते हैं।
उद्देश्यपूर्ण भ्रमण यात्रा-वृत्तान्त (उदाहरण)
यात्रा वृत्तान्त दिनांक 17 अक्टूबर रविवार को लॉयन टोली की सभा में प्रस्ताव पारित हुआ कि अगले दिन रविवार 18 अक्टूबर को बताये गये खोज के चिह्नों का अवलोकन करते हुए एक पैदल यात्रा की जायगी। यह भी निर्णय लिया गया कि टोली के सभी सदस्य प्रातः काल ठीक आठ बजे विद्यालय प्रांगण में एकत्रित होंगे।
यह भी स्पष्ट किया गया कि प्रत्येक स्काउट गाइड अपने साथ नोटबुक, पैन, पानी की बोतल, 3 मीटर की रस्सी लेकर स्काउट गाइड यूनिफार्म में आयेंगे। टोली नायक द्वारा पहले से ही गन्तव्य स्थल की रैकी की जा चुकी थी।
स्थान घनघोर जंगल के मध्य स्थित कालीचौड़ मन्दिर परिसर चुना गया था। खोज के संकेतों के लिए दो घंटे पूर्व सहायक टोली नायक और एक स्काउटर आवश्यक सामग्री लेकर 8.30 बजे भेज दिये गये 9.00 बजे शेष टोली निर्देशों का अनुशरण करते हुए अनजान रास्तों से आगे बढ़े। मार्ग में विश्राम का भी समय दिया गया। जहाँ पर टोली नायक द्वारा देश भक्ति गीत व सिंहनाद लगाने का आदेश था।
प्रत्येक स्काउट/गाइड अपनी नोट बुक में सभी संकेतों को नोट करता गया। लगभग सभी संकेतों का प्रयोग किया गया। विद्यालय से गन्तव्य स्थल 1 किलोमीटर दूर था। अतः 10 बजे सभी स्काउट/गाइड वहां पहुंच गये। इस स्थान पर सहायक टोली नायक छिपा हुआ था। उसे ढूंढना था जिसे 15-20 मिनट बाद ढूंढ़ लिया गया। वह एक पेड़ की शाखा में छुपा बैठा था।
टोली के सभी सदस्यों ने संकेतों की चर्चा की। मंदिर के पास एक स्थल की सफाई कर वहां अपना सामान रख दिया। मंदिर में माता के दर्शन और पूजा अर्चना की, लगभग 1 घंटे का कार्यक्रम (मनोरंजन) करने के बाद वापसी हुई। इस छोटी-सी यात्रा को खूब पसन्द किया गया।